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कुंवर बासित अली

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष

लक्ष्‍य अंत्‍योदय प्रण अंत्‍योदय

माता जी से मिले जनसेवा के गुण और पहलवान पिता की बुलंद छवि ने बासित जी को समाज के पीड़ित, वंचित व शोषित के लिए लड़ने-जूझने को प्रेरित किया। यह वही समय था, जब भ्रष्‍ट राजनीतिक दलों की बंदरबांट चरम पर थी और देश को धर्म-जाति-समुदाय में बांटकर सत्ता की मलाई चाटने वालों की पौ-बारह हो रही थी। इस दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी के अंत्‍योदय का सपना लेकर चल रही भारतीय जनता पार्टी में देश उत्थान और समाज उत्थान की किरण देखकर, बासित अली जी 2008 में प्रकाश की उसी राह पर चल पड़े।

जिला से लेकर प्रदेश की जिम्‍मेदारियों तक

बासित जी का व्यक्तित्व हमेशा से कर्तव्यपूर्ण और संघर्षवान रहा, जिसके कारण पार्टी द्वारा सौंपा गया कार्य हो या समाजसेवा का कार्य उसमें पराक्रम की कमी नहीं रही। वर्ष 2010 में प्रथम बार भारतीय जनता पार्टी की ओर से जिला मीडिया सह प्रभारी, मेरठ बनाया गया। यह वो दौर था, जब राष्‍ट्रमंडल खेलों के नाम पर करोड़ों की लूट मचाई गई थी और विकीलीक्‍स के खुलासों ने अमेरिका की दोहरी मानसिकता और कांग्रेस के सांप्रदायिक चेहरे को उजागर कर दिया था। इन मुद्दों को लेकर मेरठ समेत आसपास के क्षेत्र में बासित जी ने धरना प्रदर्शन कर जनजागरण का अभियान चलाया। वहीं, राममंदिर को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर अल्‍पसंख्‍यक समाज के प्रतिष्ठित लोगों के साथ बैठक कर साझा स‍हमति बनाने का प्रयास किया।

2012 में पार्टी ने जिला मीडिया प्रभारी की जिम्‍मेदारी सौंपी। इसी वर्ष उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान क्षेत्र में मुस्लिम समाज को भाजपा से जोड़ने के लिए जनसंपर्क अभियान, बैठकों, जनसभाओं का आयोजन किया और समाज के लोगों तक भाजपा के विचार को पहुंचाने का कार्य किया। हालांकि, चुनाव में बसपा के शासन को हटाकर आमजन ने सपा को तरजीह दी।

उस वक्‍त गुजरात में तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री व वर्तमान प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी तीसरी बार मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। वहीं, पाकिस्‍तान अपने नापाक मंसूबों को लेकर लगातार सीजफायर का उल्‍लंघन और आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा था, जिसका मनमोहन सिंह के नेतृत्‍व में चल रही सरकार कोई माकूल जवाब देने की मानसिक स्थिति में नहीं दिख रही थी। इससे क्षुब्‍ध होकर बासित जी ने मुस्लिम समाज के सैकड़ों लोगों व क्षेत्र के बुद्धिजीवियों को साथ लेकर मेरठ में विशाल धरना प्रदर्शन किया। जिसका असर यह हुआ कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसको लेकर प्रदर्शन, रैलियां आयोजित की जाने लगीं। इसी साल के अंत में हृदय विदारक निभर्या कांड हुआ था, जिसके बाद बासित जी ने मेरठ समेत आसपास के जिलों में हजारों लोगों के साथ भीषण विरोध प्रदर्शन, जुलूस और कैंडल मार्च निकाले। इन प्रदर्शनों में अल्‍पसंख्‍यक समाज ने भी बढ़-चढ़कर बासित जी के नेतृत्‍व में अपना विरोध दर्ज कराया।

बासित जी को सन 2013 में अल्‍पसंख्‍यक मोर्चा के जिलाध्‍यक्ष पद की जिम्‍मेदारी सौंपी गई और ये वही साल था जब सपा सरकार आतंकी घटनाओं से जुड़े मामलों को एक-एक कर वापस ले रही थी। मार्च 2006 को वाराणसी के संकट मोचन में हुए धमाके से जुड़े मामले को वापस लिए जाने के बाद बासित जी ने आसपास के जिलों में जा-जाकर इसके खिलाफ बैठकें और सभाएं कीं। इन सभाओं को लेकर पुलिस प्रशासन ने कई बार दबाव डालकर उन्‍हें बंद करवाने की भी कोशिश की लेकिन बासित जी ने यह क्रम फिर भी चलाए रखा। इसी वर्ष जून माह में भीषण बारिश के बाद केदारनाथ में मची तबाही के बाद बासित अली जी ने अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ जाकर राहत कार्यों में एक मजबूत भूमिका निभाई। साथ ही मेरठ समेत आसपास के क्षेत्र के जो लोग जलप्रलय की विभीषिका में फंसे थे उन्‍हें सुरक्षित वापस लाने के लिए भी जी-जान लगाकर कार्य किया।

इसी वर्ष अक्‍टूबर आते-आते आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेजी पकड़ चुकी थीं, कांग्रेस सरकार की कारगुजारियों से त्रस्‍त आमजन को गुजरात के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी में आशा की नई किरण दिख रही थी।

इन्‍हीं राजनीतिक सरगर्मियों के बीच बासित जी को पहली बार मेरठ के सिवालखास में आयोजित ‘स्‍वाभिमान यात्रा’ में भाजपा के वरिष्‍ठ नेताओं के बीच मंच से अपनी बात रखने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्‍ठ नेता आदरणीय श्री राजनाथ सिंह जी, सुश्री साध्‍वी उमा भारती जी व श्री जयपाल सिंह गुर्जर जी मंचासीन थे। इस रैली में मुस्लिम समाज के लोगों ने बासित जी के नेतृत्‍व में बढ़-चढ़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। इसके साथ ही आयोजन के प्रबंधन में भी वह महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।

अपने इस कार्यकाल के दौरान बासित जी ने जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर भी एक बड़ा अभियान छेड़ा था, जिसने मीडिया से लेकर प्रशासनिक दफ्तरों तक में हलचल पैदा कर दी। इस अभियान के माध्‍यम से अल्‍पसंख्‍यक समाज के लोगों को बढ़ती जनसंख्‍या के प्रति जागरूक किया गया और भविष्‍य की चुनौतियों से रूबरू कराया गया।

वर्ष 2014 शुरू होने के साथ ही चुनावी हलचल अपने चरम पर थी। केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार के भ्रष्‍टाचार और तुष्‍टीकरण की नीति से ऊब चुकी जनता प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी सरकार की कारगुजारियों से परेशान हो रही थी। इसी बीच भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार बनाए गए माननीय नरेंद्र मोदी जी ने 2 फरवरी 2014 को शताब्‍दी नगर मेरठ में आयोजित पहली चुनावी ‘विजय शंखनाद रैली’ से बदलाव का बिगुल बजाया।

इस रैली में बासित जी ने महती भूमिका निभाई और क्षेत्र के मुस्लिम समाज के हजारों लोगों को रैली में शामिल करने की बेहद चुनौतीपूर्ण जिम्‍मेदारी को उठाया। रैली की सफलता को व्‍यापक बनाने के उद्देश्‍य से उन्‍होंने पहले छोटी-छोटी जनसभाओं और बैठकों के माध्‍यम से लोगों को भाजपा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्‍होंने मुस्लिम समाज के गणमान्‍य लोगों को आंदोलित करके उनसे रैली में शामिल होने की अपील की। इससे ‘विजयशंख नाद रैली’ एक ऐतिहासिक आयोजन और लोकसभा चुनाव की जीत में मील का पत्‍थर साबित हुई।

इसके बाद केंद्र में भ्रष्‍ट सरकार का खात्‍मा हुआ और आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। लोकसभा चुनाव में जबरदस्‍त हार से खीझने वाली समाजवादी पार्टी की प्रदेश सरकार ने इसी बीच भाजपा नेताओं को परेशान के लिए अनैतिक हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए। भाजपा विधायकों, नेताओं पर तरह-तरह के प्रपंच से प्रेरित होकर मुकदमे दर्ज किए जाने लगे। इसके विरोध में कुंवर बासित जी ने मेरठ में धरना प्रदर्शन कर जुलूस निकाला। जिस पर उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

इसके अलावा सपा सरकार में राजनीतिक सरपरस्‍ती में प्रदेश में अवैध खनन धड़ल्‍ले से होता था। जिसके खिलाफ बासित जी ने लगातार विरोध प्रदर्शन और घेराव किया। ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन के दौरान राजनीतिक दबाव में पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें बासित जी और अन्‍य कार्यकर्ताओं को काफी चोटें भी आईं लेकिन भ्रष्‍टाचार के खिलाफ उनके संघर्ष को पुलिस के डंडे और सपा सरकार के तमाम हथकंडे भी नहीं रोक पाए। अंतत: प्रदेश सरकार को अवैध खनन और पुलिसिया बर्बरता की जांच और कार्रवाई के आदेश देने पड़े। इसके अलावा किसानों के गन्‍ना बकाया का भुगतान का मुद्दा हो या उनसे जुड़ी अन्‍य समस्‍याएं, बासित जी ने इन ज्‍वलंत मुद्दों को उठाते हुए 100 से अधिक बार धरना प्रदर्शन कर प्रशासनिक बर्बरता को झेला है।

वर्ष 2016 में भाजपा के प्रदेश नेतृत्‍व की ओर से बासित जी को अल्‍पसंख्‍यक मोर्चा पश्चिम क्षेत्र के संयोजक की जिम्‍मेदारी सौंपी गई। इस कार्यकाल में केंद्र में भाजपा सरकार थी, अत: जन कल्‍याणकारी योजनाओं को समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्‍यक्ति तक पहुंचाने और वंचितों को सरकार से मिलने वाले लाभ से जोड़ने के लिए बासित जी ने अथक परिश्रम किया।

इसके साथ ही सपा सरकार में हुए सोलर लाइट घोटाले का बड़ा खुलासा किया और इस संबंध में आधिकारिक शिकायत की, जिसकी जांच चल रही है।

वर्ष 2016 के अंत तक पहुंचते-पहुंचते उत्‍तर प्रदेश की जनता सपा सरकार के नेताओं की गुंडई, अपराध, भ्रष्‍टाचार और सांप्रदायिकतावादी हरकतों के राजनीतिक संरक्षण से त्रस्‍त हो चुकी थी। वर्ष 2017 के तीसरे माह में चुनाव होने की संभावना थी, जिसको लेकर प्रदेश में राजनीतिक उठापटक मची हुई थी। भाजपा के शीर्ष नेतृत्‍व की ओर से प्राप्‍त आदेश के अनुसार बासित जी ने मुस्लिम समुदाय को भाजपा से जोड़ने के लिए धुंआधार तरीके से रैलियां और जनसभाएं कीं। साथ ही समाज के आलिमों को भाजपा के साथ जोड़कर उनसे जनसामान्‍य से पक्ष में मतदान करने की अपील करवाई। इस दौरान क्षेत्र के उलेमाओं व मौलानाओं के साथ कार्य किया।

वर्ष 2017 शुरू होने के साथ ही चुनाव की यात्रा रफ्तार पकड़ चुकी थी। मेरठ, अलीगढ़ और बिजनौर में आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी की रैलियां होनी थीं। बासित जी ने इन रैलियों को सफल बनाने के लिए एक कर्मठ और कर्तव्‍यनिष्‍ठ कार्यकर्ता के रूप में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। मेरठ में आयोजित रैली में 3 लाख से ऊपर लोग जुटे, जिसमें बहुत बड़ी संख्‍या अल्‍पसंख्‍यक समुदाय की थी। रैली में जुटी संख्‍या को देखकर मंच से ही प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि जनता ने अखिलेश यादव को विदा करने का मन बना लिया है। जन समर्थन की इस आंधी में अखिलेश अपने लिए सहारा तलाश रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता परिवर्तन और न्याय चाहती है। मेरी माताएं-बहनें, मेरे छोटे कारोबारी, मेरे किसान भाई ये लड़ाई आपके न्याय के लिए है। इस रैली ने पूरे प्रदेश का माहौल ही बदल दिया था, कमोबेश इसी तरह की रैलियां बिजनौर और अलीगढ़ की थीं। इन रैलियों में भी बासित जी ने जनसमर्थन और सहभागिता के लिए मुस्लिम समुदाय के बीच घर-घर जाकर जनसंपर्क किया।

इसी वर्ष बासित जी को उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का सदस्‍य नियुक्‍त किया गया। जिसके बाद उन्‍होंने उर्दू भाषा को सशक्‍त बनाने के लिए स्‍कूल कॉलेज में सेमिनार आदि से लेकर मुशायरों तक का आयोजन करवाया। आयोजनों में उर्दू शिक्षा से जुड़े विद्वानों व समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने उनके प्रयासों को जमकर सराहा। छात्रों को उर्दू की पुस्‍तकें मुफ्त में बांटी और उन्‍हें उर्दू सीखने को प्रेरित किया। अपने इसी कार्यकाल के दौरान बासित जी ने जनसंख्‍या नियंत्रण को लेकर एक बड़ा अभियान छेड़ा था, जिसने मीडिया से लेकर प्रशासनिक दफ्तरों तक में हलचल पैदा कर दी। इस अभियान में अल्‍पसंख्‍यक समाज के लोगों को बढ़ती जनसंख्‍या के प्रति जागरूक किया गया और भविष्‍य की चुनौतियों से रूबरू कराया गया। इस मुहिम को अल्‍पसंख्‍यक समाज का भी सहयोग मिला और समाज के आलिमों ने भी माना कि बढ़ती जनसंख्‍या ने समस्‍याओं का अंबार खड़ा कर दिया है।

वर्ष 2018 में बासित जी संघ के वरिष्‍ठ स्‍वयंसेवक श्री इंद्रेश कुमार जी के आदेश पर मुस्लिम राष्‍ट्रीय मंच के क्षेत्रीय संयोजक बने। समाज की जनजागरूकता के लिए तमाम तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया । अल्‍पसंख्‍यक समाज में बैठकों, सभाओं का आयोजन कर संघ और भाजपा के बारे में राजनैतिक विद्वेष से फैलाई गई भ्रामक जानकारी को तथ्‍यात्‍मक तौर पर दूर करने का प्रयास किया। उनके इन ईमानदार प्रयासों से राजनीतिक रूप से अल्‍पसंख्‍यक समाज भाजपा को समझने और उससे जुड़ने के लिए तैयार होने लगा और सामाजिक रूप से जन सामान्‍य के बीच एक नये सहयोग की भावना पनपने लगी।

वर्ष 2019 आते-आते लोकसभा चुनावों को लेकर देश में विपक्षी दलों की भाजपा के खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई थी। राजनीतिक रूप से भाजपा के विरोधी दलों के नेताओं ने एक दूसरे का हाथ पकड़े, ललकाराने की मुद्रा में अपनी तस्‍वीरें खिंचवाकर मीडिया की सुर्खियां बना दीं थीं । इस उपरी बयार को देखते हुए राजनीतिक विश्‍लेषक भी भाजपा की चुनौती को बड़ा बताने लगे थे। इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय जनता पार्टी भी कमर कस रही थी। बासित जी को भी प्रदेश भर में जा-जाकर अल्‍पसंख्‍यक समाज को भाजपा की नीतियों, योजनाओं और उनके लाभार्थियों से जनसंपर्क करने की बेहद चुनौतीपूर्ण जिम्‍मेदारी मिली। इस महत्‍वपूर्ण कार्य के लिए बासित जी मुस्लिम समाज में पैठ रखने वाले उलेमाओं, आलिमों की टीम के साथ प्रदेश भ्रमण पर निकल गए। इस दौरान प्रदेश के अधिकतर जिलों में जन सभाएं कीं । उन्‍होंने समाज के प्रबुद्ध वर्ग, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर लोगों को भाजपा से जुड़ने के लिए प्रेरित किया ।

इस दौरान क्रांति की धरा मेरठ से प्रधानमंत्री जी की पहली बड़ी ‘विजय संकल्‍प’ रैली आयोजित होना तय हुआ, जिसे लेकर बासित जी को अपने समाज से बड़ी संख्‍या में सहयोग हासिल करने का कार्य मिला। उन्‍होंने पूरे मनोयोग और परिश्रम के साथ इसके लिए मेरठ सहित आसपास के जिलों में जन संपर्क किया। साथ ही प्रदेश के उलेमाओं और आलिमों के साथ बैठकें कर अल्‍पसंख्‍यक समाज को भाजपा से जोड़ने के लिए, उनसे अपीलें करवाई। उनके इस पराक्रम का ही परिणाम था कि यशस्‍वी प्रधानमंश्री श्री नरेंद्र मोदी जी की इस रैली में मेरठ से नहीं आस-पास के इलाक़ों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे, मुज़फ़्फ़रनगर से लेकर कैराना और खतौली से लेकर सहारनपुर तक से लोग मोदी जी को सुनने यहां पहुंचे थे। भीषण गर्मी के बावजूद पांडाल से लेकर बाहर तक लोगों का सैलाब उमड़ा हुआ था। अधिकतर लोग ग्रामीण इलाकों से आए थे, काफी लोग अति उत्‍साह में 10 बजे सुबह ही पांडाल में पहुंच गए थे। ‘मैं भी चौकीदार’ के नारों के साथ अल्‍पसंख्‍यक समाज के लोगों ने जो शमां बांधा था, उससे यह तय हो गया था कि विपक्षी गठबंधन की गांठें खुल गई हैं। इस रैली में यशस्‍वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि मेरठ में विरोधी दल के प्रत्याशी ने आतंकवादियों को करोड़ों रुपये के इनाम की घोषणा तक कर दी थी, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं आप सोचिए। ये लोग भ्रष्टाचारियों के साथ खड़े हैं। महामिलावटियों की सरकार में गुंडे और बदमाश बेलगाम थे और बेटियों को इंसाफ तक नहीं मिलता था। इस जोशीले भाषण का अल्‍पसंख्‍यक समाज के लोगों ने जोरदार तरीके से स्‍वागत कर कमल का बटन दबाकर भाजपा को पुन: सत्ता तक पहुंचाया था।

यशस्‍वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में पुन: भाजपा सरकार बनने के बाद करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों को सम्मान से जीने का हक दिलाने के लिए 30 जुलाई 2019 को केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक तीन तलाक बिल को पारित कर दिया। जिसे लेकर मुस्लिम महिलाओं में अपार खुशी और जश्‍न का माहौल बना लेकिन तुष्‍टीकरण को अपनी नीति बना चुके राजनीतिक विरोधियों ने इसका भी विरोध किया। बासित अली जी ने इस विरोध के खिलाफ समाज को कानून के सभी पहलू को समझाने और एकजुट रखने के लिए प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्‍य जिलों में जनसभाएं और बैठकें कीं। धीरे-धीरे तीन तलाक को अवैध बनाने वाले कानून की बारीकियां समझकर समाज में एक सहमति का स्‍तर बन गया और राजनीतिक घेराबंदी को तार-तार हो गई।

इसी दिन एक दूसरा ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन कानून पारित करके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व वाली केंद्र सरकार ने इतिहास रच दिया था। जिसके बाद पूरे देश में राजनीतिक विरोध के कारण दंगे फैलाने व पूरे देश को अव्‍यवस्थित करने से लेकर विदेश में भारत की छवि को धूमिल करने के प्रयास किए गए। इस तरह के माहौल में उत्तर प्रदेश जैसे बहु संस्‍कृति वाले प्रदेश में सामाजिक तानाबाना न बिगड़े इसके लिए बासित अली जी पूरे प्रदेश का भ्रमण कर समाज के उलेमाओं और आलिमों से मिले । उनसे समाज में एकता और सौहार्द बनाए रखने की अपील करवाई, समाज के प्रबुद्ध लोगों तक नागरिकता संशोधन कानून की तथ्‍यात्‍मक जानकारी पहुंचाई। कई जिलों में स्‍थानीय लोगों ने बैठक व संबोधन का विरोध किया, तब उनके बीच कानून के जानकार लोगों के साथ परिचर्चा आयोजित कर उनकी भ्रामक तथ्‍यों से उपजी शंकाओं का समाधान किया।

वर्ष 2019 में ही 9 नवंबर को अयोध्या के रामजन्‍मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया था। जिसके बाद हैदराबाद से चलने वाली पार्टी समेत कई दलों ने अपनी सख्‍त नाराजगी जाहिर की थी। राजनीतिक हलकों में ऐसे लोगों की कमी नहीं थी, जो इसे मुस्लिमों के खिलाफ बताने की अपनी जहरीली मानसिकता से समाज का प्रेम सद्भाव भंग करने में लगे थे। इस संबंध में बासित जी ने प्रदेश के मुस्लिम क्षेत्रों में जा जाकर सभा और बैठकों के माध्‍यम से लोगों को शांत करने का बेहद चुनौतीपूर्ण प्रयास किया। बासित अली जी ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जाकर अल्‍पसंख्‍यक समाज को शांतिपूर्ण तरीके से रहने और न्‍यायालय के आदेश का सम्‍मान करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही भारत की राष्‍ट्रीय एकता को बहुसामाजीय बताते हुए सबके साथ, सबके विकास और सबके विश्‍वास के साथ कार्य कर रही भाजपा सरकार की नीतियों और नियमों के बारे में बताकर भ्रामक तथ्‍यों के बारे में खुलासा किया। उनके इस प्रयास से प्रदेश में सौहार्द की एक नई मिसाल बनी तथा देश और प्रदेश में कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। इस प्रयास का असर 2022 के चुनाव में दिखा, जिसमें प्रदेश की भाजपा सरकार ने सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज की। विरोधियों के सारे दबे छिपे हथकंडे भी धीरे-धीरे धराशायी हो गए। ।

2019 का आाखिरी माह पूरे विश्‍व के लिए ‘कोरोना’ के रूप में बुरी खबर लेकर आया। चीन के वुहान में 31 दिसंबर 2019 को कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। भारत में कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था। मार्च तक देश में कोरोना के सिर्फ 3 मामले सामने आए थे, जो केरल के थे लेकिन 2 मार्च से कोरोना वायरस भारत में ऐसा फैलना शुरू हुआ, जो हर गुजरते दिन के साथ लगातार बढ़ता ही गया। गुजरते समय के साथ-साथ इसकी भयावहता भी बढ़ती गई। शहर दर शहर हालत बदतर होते चले गए, लॉकडाउन के चलते जनसामान्‍य की आर्थिक हालात भी बिगड़ी। एक तरफ, केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपना खजाना और रसद दोनों जनता की सेवा में समर्पित कर दिया। दूसरी तरफ, दिल्‍ली, राजस्‍थान समेत कई प्रदेश सरकारों ने दूसरे प्रदेश से आए कामगारों को अपने यहां भोजन दवा आदि की सुविधा नहीं उपलब्‍ध कराई। जिसके बाद पूरे देश में कोरोना की गंभीर स्थितियों के बीच अफरातफरी मच गई। कुछ इस कदर हालात बिगड़े कि भूखे प्‍यासे, बीमार, बच्‍चे, वृद्ध महिलाएं सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़ीं। कोरोना से मौत के आंकड़ों में कोई कमी नहीं आ रही थी लेकिन शहरों से गांव की ओर पलायन बदस्‍तूरजारी था।

पहली लहर के भयानक भीषण हालातों में बासित जी ने मेरठ और उसके आसपास के जिलों में लगातार भोजन और बोतल बंद पानी का वितरण करवाया। नंगे पैर चल रहे लोगों को चप्‍पल, सामान्‍य दवाइयां और जरूरतमंद महिलाओं बच्‍चों के लिए वाहन आदि की व्‍यवस्‍था करवाई। वहीं क्षेत्र के जरूरतमंदों को राशन, दवाइयां, खाने बनाने वाली गैस आदि मुफ्त उपलब्‍ध करवाई। इस दौरान मास्‍क और सेनेटाइजर का भी अधिकाधिक वितरण किया, जिससे कोरोना संक्रमण के प्रसार से बचाव हो सके। इसके बाद 2021 में आई दूसरी कोरोना लहर ने पहली लहर की अपेक्षा अधिक भयावह हालात बना दिए थे। संक्रमण और मौत आंकड़े डरावने थे, इस लहर में शहर ही नहीं गांव तक से संक्रमण और मृत्‍यु की खबरें आने लगी थीं। संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान बासित अली जी ने कोरोना से पीड़ित लोगों को ऑक्‍सीजन, दवाई, अस्‍पताल में इलाज आदि की मुफ्त व्‍यवस्‍था करवाई, जिससे बहुत से लोगों का जीवन बच सका। साथ ही सामान्‍य घर परिवारों में, जिनमें आय की व्‍यवस्‍था नहीं थी, वहां राशन और घरेलू उपयोग का पूरा सामान भेजा। मेरठ समेत आसपास के क्षेत्र में मास्‍क, सेनेटाइजर आदि का भी बड़ी संख्‍या में वितरण करवाया। ये सभी जनसेवाएं पूरे कोराना काल में अनवरत चलती रहीं।

कुंवर बासित अली जी को 20 जून 2021 को उत्तर प्रदेश के अल्‍पसंख्‍यक मोर्चा की जिम्‍मेदारी सौंपते हुए अध्‍यक्ष पद पर मनोनीत किया गया। इस पद पर भी वह लगातार पार्टी के प्रति पूरी समर्पण के साथ जनसेवा और राष्‍ट्रसेवा के कार्यों में जुटे हुए हैं।

राजनीति नहीं ‘जनसेवा’

बासित अली जी ने जिला स्‍तर से लेकर पार्टी के द्वारा दी गई सभी जिम्‍मेदारियों को बिना किसी लोभ के पूरा किया है। यही कारण रहा है कि चाहे गुजरात या मध्‍यप्रदेश का चुनाव हो, या उन्‍हें जहां जिस किसी भी कार्य के लिए भेजा गया, उसे उन्‍होंने पूरी निष्‍ठा के साथ पूरा किया। हिमाचल प्रदेश में माननीय केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर जी के चुनाव में हमीरपुर पहुंचकर उनके लिए अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के बीच जा-जाकर मतदान करने की अपील की। वहीं जनसेवा के कार्यों में भी इसी शिद्दत के साथ लगे रहे, उत्तराखंड की त्रासदी से लेकर कोरोना की महामारी तक अपनी मानवीय व सामाजिक जिम्‍मेदारियों को बखूबी निभाते रहे।